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भटकु गर मैं रास्ता तो राह दिखाना तुम
छोटी हो तो क्या हुआ कभी बड़ी बन जाना तुम,
जानती हो भूलने की आदत है मेरी
हरकदम पे मेरा यूं ही साथ निभाना तुम,
तेरे होने से मुश्किल भी लगती है हल्की
छोटी हो तो क्या हुआ कभी बड़ी बन जाना तुम,
कभी मैं तुम्हें तो कभी तुम मुझे हौसला देना
ढाल बनकर मुश्किलों के आगे खड़े रहना,
इक दूजे के संग हमेशा रहना
छोटी हो तो क्या हुआ कभी बड़ी बन जाना तुम।
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