
शादियो का सीजन है विहान मुम्बई से बिहार आया है । माँ ने उसे इस बार बहुत जिद करके बुलाया है वो पांच साल से घर नही आया था । माँ उसके आते ही उसे बुआ के बेटे की शादी मे लेकर गयी । शादी मे अभी हफ्ता भर बचा था मगर फिर भी माँ उसे इतने दिन पहले वहां लेकर पहुंच गयी थी । माँ का कहना था रिश्तेदारो के साथ भी थोड़ा समय बिताओ अकेले परदेश मे रहकर तुम तो उन्हे भूल ही जाते हो ।
अभी शादी होने मे कुछ दिन थे तो विहान की बुआ की बेटी उसे गाँव घुमाने ले गयी । एक घर के नजदीक वो विहान को रुकने को कहकर खुद अंदर चली गई ।थोड़ी देर तक वो नही लौटी तो विहान वहीं टहलने लगा । अंदर से एक आंटी बाहर आयी ।
वो विहान को देखकर पूछी - का बउआ कि बात ह कुछ चाही का केकरो के ढूंढ रहल बाड़ के ।
विहान ने कहा - आंटी हम मनू को ढूंढ रहे है वो अभी अंदर गयी है ।
आंटी बोली - ओ अच्छा तु मनुआ के भाई हत । मनुआ गरिमा के सहेली ह ओकरे से मिले गेल होय मनुआ ।
तू बैइठ न हम गरिमा के नानी है तू त बम्बई मे रहल ना । विहान बोला - हां हम मुंबई मे रहते है ।
नानी और विहान ने ढेर सारी बाते की ।
दोनो की अच्छी खासी पहचान हो गयी ।
मनीषा अंदर से बाहर आयी तो उसने अपने भाई को नानी से बात करते देखा तो वो बोली -अरे वाह भाई आपकी तो नानी से इतनी जल्दी दोस्ती भी हो गयी अब घर चलो देर हो गई है हम फिर कभी आयेंगे ।
विहान ने नानी से विदा लिया और घर की ओर जाने को हुआ तब उसने परदे के पीछे छुपी एक लड़की को देखा शायद ये मनु की दोस्त होगी । वो लोग घर आ गए ।
एक दिन बाजार मे उसने एक लड़की को देखा । उसे देखकर वो बेहद खुश होने लगा, पता नही उसे खुशी क्यों हो रही थी पर फिर भी वो उसे देखकर बहुत खुश हो रहा था । शायद उसकी सादगी पर या उसकी समझदारी पर वो अपना दिल हार गया । वो घर आ गया । रात को सोने से पहले उसने ये बात अपने भाई-बहन को बताया । वो लोग सोच मे पड़ गए । हमारे गाँव मे ऐसी लड़की, कौन हो सकती है ।
मनू ने कहा - क्या राधा हो सकती है भैया?
उसके भैया ने कहा - अरे नही वो नही हो सकती है ।
मनू ने कहा - तो क्या चेतना हो सकती है?
अरे नही भैया ने कहा ।
दोनो भाई बहन ढेरो नाम कहने लगे ।
इनसे तंग आकर उन्होंने ये तय किया कि हम कल फिर से बाजार जायेंगे और अगर वो लड़की बाजार मे कहीं भी उसे दिखे तो विहान उसे इशारा कर देगा और वो पहचान जायेंगे।
आज सब बाजार मे घूम रहे थे । देर तक घूमने के बाद भी विहान को वो लड़की कहीं नही दिखी । सब अब थक गए थे पर तभी सब्जीवाले की दुकान पर सब्जी खरीदते विहान को वो लड़की दिखी । उसने अपने भाई-बहन को इशारा किया ।
भाई ने कहा - वहां तो कितनी सारी लड़कियां है कौन सी है उन्हे कैसे पता चलेगा ।
विहान ने कहा - वो लाल चुन्नी वाली लड़की जो है वही है ।
भाई ने इशारा करते हुए ऊँगली गरिमा की ओर दिखाया ।
क्या वो लड़की?
विहान ने कहा - हां वही ।
उसके इतना कहते ही मनू उस लड़की की ओर बढ़ गयी । विहान ने भाई से पूछा - ये मनू उसके पास क्यों जा रही है । भाई ने कहा - तुमने जिस लड़की का बताया वो मनू की दोस्त गरिमा है ।
विहान ने कहा - मुझे तो लगा ये कहीं जाकर उससे नाम पता ना पूछ ले मैं तो डर ही गया था ।
दोनो भाई हंसने लगे ।
मनू अपने दोस्त को साथ लेकर आयी और उसे अपने भाई से मिलवाया । भाई ये मेरी दोस्त है और गरिमा ये मेरा भाई है । विहान ने अपना हाथ आगे बढ़ाया और कहा हैलो मैं विहान हूँ । गरिमा ने हाथ जोड़कर कहा जी नमस्ते मैं गरिमा हूँ । विहान ने अपना हाथ पीछे करते हुए कहा - सॉरी आदत है ना, मुंबई मे सब ऐसे ही मिलते हैं । भाई ने छेड़ते हुए कहा - मगर ये बिहार है तेरा मुंबई नही, यहाँ लोग ऐसे मिलते हैं । अब सब साथ मे बाजार मे खरीदारी करने लगे । विहान बस गरिमा को ही देखे जा रहा था । भाई ने उसे देखा तो बोला क्यों न तेरी भी शादी अपने साथ ही करवा दूं ।
दोनो हंसने लगे ।
खरीदारी के बाद सब घर आ गए ।
रात को जब तीनो साथ थे तो मनू ने बताया - भाई उसने आपको उसी दिन देखा था जब हम उसके घर गए थे, उसने आपके बारे मे मुझसे बहुत कुछ पूछा था , लगता है उसे भी आप पसंद आये हो ।
भाई अब आपकी शादी की बारी है मनू विहान को चिढ़ाने लगी । विहान मनू के पीछे भागा, चुप करो कोई सुन लेगा ।
कुछ दिनो मे शादी की रस्मे भी शुरू हो गई । गरिमा का भी आना जाना लगा रहता । वो जैसे ही घर मे आती विहान का तो उसे देखकर दिल की धड़कने ही बढ़ जाती थी । पाँच दिनो की शादी थी अच्छा मौका भी मिल गया था विहान को ।
पहला दिन बीत गया गरिमा को देखते हुए ।
अगले दिन गाँव के मंदिर मे पूजा था । सभी वहां गए । रास्ते मे आते वक्त गरिमा की चप्पल टूट गयी । रास्ता अच्छा नही था, कच्ची-पक्की सड़के थी जिनपर आधे से अधिक पत्थर थे ।
विहान ने जब गरिमा को बिना चप्पल के उन पत्थरो पर चलते देखा तो उसने मनू को इशारा किया मनू उसके पास गई तो उसने मनू से कहा - मेरे लिए एक काम करेगी ।
मनू ने कहा - हां भैया बोलो ना ।
विहान ने कहा गरिमा की चप्पल टूट गयी है और ये रास्ता भी ठीक नही है उसे कहीं चोट लग गई तो! मनू तू कुछ हेल्प कर दे ना उसकी ।
मनू ने कहा - मैं कैसे मदद करूंगी ।
विहान ने कहा - तू अपनी चप्पल उसे दे दे और मेरी शूज तू ले ले ।
मनू ने कहा - भाई मैं आपके शूज कैसे पहन सकती हूँ ।
विहान ने मनुहार करते हुए कहा - दे दे ना बहना तूने तो लहंगा पहना है किसी को कुछ पता भी नही लगेगा ।
विहान की जिद के आगे मनू को झुकना पड़ा ।
विहान ने कहा - रूक पहले मैं उससे बात करके देखता हूँ, यही मौका है बात करने का ।
वो गरिमा के नजदीक गया । पत्थर चुभने की वजह से उसके होंठ बार बार भींच जाते थे और चेहरा लाल हो जाता था ।
विहान ने गरिमा से पूछा - क्या मैं आपकी कोई मदद कर सकता हूँ ।
गरिमा ने विहान को मना कर दिया और आगे बढ़ गयी । पीछे से उसकी नानी ने विहान के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा वो नही लेगी मदद, मैंने भी कहा था मगर वो सुनती ही नही । इतने मे विहान की मां भी आ गयी । उसने विहान से कहा मनू पीछे तेरा इंतजार कर रही है जा देख ले क्या कह रही है ।
विहान मनू के पास गया और कहा मनू जा अब तू उसकी मदद कर दे मुझसे तो उसने नही लिया और उसके बाद पीछे आ जाना ।
मनू गरिमा के पास गयी । उसने अपनी चप्पल गरिमा को दे दी । वो लेने को पहले तो तैयार नही हुई पर जब मनू ने कहा कि भाई गये है उनके लिए चप्पल लाने को तो वो मान गयी । मनू थोड़ी देर बाद कुछ बहाना बनाकर विहान के पास आ गयी । विहान ने उसे अपने जूते दे दिए । अब विहान भीड मे सबसे पीछे पीछे चल रहा था । रास्ते मे उसे गरिमा का घर दिखा वो वहीं आ गया । कुछ पत्थर उसके पैर मे चुभ गये थे इसलिए पैर से खून रिस रहा था । उसे हल्का हल्का दर्द भी हो रहा था । वो थोड़ी देर घर के बाहर ही बैठा रहा । अंदर से जब गरिमा की नानी बाहर आयी तो वो विहान को देखकर चौक गयी ।
वो बोली - अरे बेटा तू इहां, कि बात ह ।
विहान अपने आप को संभालते हुए बोला - कुछ नही नानी, थक गए थे तो यहीं आराम करने बैठ गए । आप घर चली आयी! गरिमा भी आयी है क्या?
नानी बोली - न
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