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कुछ बदली बदली सी लगने लगी है अपनी ही जिंदगी
जबसे आपने कहा है कि आपको मेरी मुस्कान पसंद है
थोड़ा और मुस्कुराने लगी हूं,
जबसे आपने कहा है कि आपको मेरी आंखें पसंद है
आईने में खुद को थोड़ा और देखने लगी हूं,
जबसे आपने कहा है कि तुम बहुत भोली हो
थोड़ी सी शरारत करने लगी हूं,
खुलकर तो कुछ कह नहीं सकते पर आपकी आदत सी होने लगी है
आपकी बातों का असर कुछ ऐसा हो रहा है कि खुद को भी अब खोने लगी हूं।
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