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कभी हीर कभी लैला
कभी शीरी की आवाज़ें
मुझसे ये कहा करती हैं
सुन ! ऐ नादान लड़की
पलट आ इन राहों से
ये तेरे पैर ज़ख़्मी कर देगीं
तुझको कोई नई राह
कभी शीरी की आवाज़ें
मुझसे ये कहा करती हैं
सुन ! ऐ नादान लड़की
पलट आ इन राहों से
ये तेरे पैर ज़ख़्मी कर देगीं
तुझको कोई नई राह
नहीं चलने देगीं
ये राहें काँटों से भरी है
इनसे फूलों की उम्मीद
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