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उसका एहसास मर भी सकता है
बात से वो मुकर भी सकता है
देख आमाल नस्ले आदम के
आज शैतान डर भी सकता है
फूल लब पर रखो दुआओं के
दौरे मुश्किल गुज़र भी सकता है
है यक़ीन उसको दोस्तों पे बहुत
टूट कर वो विख़र भी सकता है
दौरे हाज़िर है ख़ुद परस्ती का
हद से इन्सां गुज़र भी सकता है
ऐ सना आज खुल के रोने से
बोझ दिल का उतर भी सकता है
शिबली सना
प्रयागराज(इलाहाबाद)
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@shiblisana
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