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महफिलों में महसूस हो तन्हाइयां
बढ़ जाए पास रहकर भी दूरियां
तो रिश्तों की मिठास फिर से जांच लो
यादों की खूबसूरत पोटली खोल लो!!
तेजी से जब छूने लगो ऊंचाइयां
दूर जब जाने लगे खुदसे परछाइयां
तो खुदको फिर से तुम पहचान लो
यादों की खूबसूरत पोटली खोल लो!!
गैरों से बढ़ने लगे जब नजदीकियां
अपनों में जब दिखने लगे खराबियां
तो खुदमें एक बार जरूर तुम झांकलो
यादों की खूबसूरत पोटली खोल लो!!
शैलेंद्र शुक्ला"हलदौना"
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