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वो झूठ कहता था अब कि तू मेरा मुकद्दर है
वो अकेले आया और तन्हा ही रुखसत हुआ!!
कसमें खाई थी साथ जीने और मरने की हमने
फिर भी तेरा जनाजा मुझसे अलग क्यों उठा!!
रूठ कर मनाने का भरोसा दिया था तूने मुझ
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