
Share0 Bookmarks 57 Reads1 Likes
उम्मीदों के पंखों को जरा उड़ान भरने लेने दो
आसमान की ऊंचाई का स्वाद जरा चख लेने दो!!
रोज सवेरे में उठता हूं सपनों की पोटली उठाकर
दिन भर खुदको तपाता हूं आग उगलती भट्टी पर
मुझको भी मेरे अब कुछ सपने सच कर लेने दो
रंग बदलती दुनिया में मुझको आजादी से जीने दो!!
नानी दादी की कहानियां आंखों से धुंधली हो चली
पगडंडी पर दौड़ लगाना सब बच्चों से हो गया परे
बच्चों को उनके बचपन की अठखेलियां कर लेने दो
इन भारी बस्तों को कुछ और देर आराम कर लेने दो !!
उम्मीदों के पंखों को जरा उड़ान भरने लेने दो
आसमान की ऊंचाई का स्वाद जरा चख लेने दो!!
शैलेंद्र शुक्ला "हलदौना"
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments