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उम्मीदों के पंखों को जरा उड़ान भरने लेने दो
आसमान की ऊंचाई का स्वाद जरा चख लेने दो!!
रोज सवेरे में उठता हूं सपनों की पोटली उठाकर
दिन भर खुदको तपाता हूं आग उगलती भट्टी पर
मुझको भी मेरे अब कुछ सपने सच कर लेने दो
रंग बदलती दुनिया में मुझको आजादी से जीने दो!!
नानी दादी की कहानियां आंखों से धुंधली हो चली
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