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अपने खयाबों को पूरा करने की खातिर
हमें दृष्टि साधनी होगी सोच बदलनी होगी !!
जिद्दी सूरज की तरह रोज चमकना होगा
अपना हो या गैर पर प्रकाश बिखेरना होगा
हमें दृष्टि साधनी होगी सोच बदलनी होगी !!
चंदा मामा की तरह शांत सौम्य होना होगा
जो जिस रूप में स्वीकारे वैसा दिखना होगा
करवाचौथ और ईद साथ मानना ही होगा
हमें दृष्टि साधनी होगी सोच बदलनी होगी !!
हमें गंगा की तरह निर्मल हो कर बहना होगा
बिना किसी अभिमान के सबसे जुड़ना होगा
अपने लिए ही नही औरों लिए भी जीना होगा
हमें दृष्टि साधनी होगी सोच बदलनी होगी !!
हमें सागर की तरह धीर गंभीर होना होगा
अंदर की बुराइयों को बाहर फेंकना होगा
अपनी मर्यादा को कभी नही लांघना होगा
हमें दृष्टि साधनी होगी सोच बदलनी होगी !!
शैलेन्द्र शुक्ला “हलदौना”
ग्रेटर नोएडा
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