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अपने खयाबों को पूरा करने की खातिर
हमें दृष्टि साधनी होगी सोच बदलनी होगी !!
जिद्दी सूरज की तरह रोज चमकना होगा
अपना हो या गैर पर प्रकाश बिखेरना होगा
हमें दृष्टि साधनी होगी सोच बदलनी होगी !!
चंदा मामा की तरह शांत सौम्य होना होगा
जो जिस रूप में स्वीकारे वैसा दिखना होगा
करवाचौथ और ईद साथ मानना ही होगा
हमें दृष्टि साधनी होगी सोच बदलनी होगी !!
हमें गंगा की तरह निर्मल हो कर बहना होगा&nb
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