
गुरु तेग को एक दिन मुगलों ने कैद करवाया
तपती आग की भट्टी में बिठाकर खूब तपाया
नुकीली कीलों के तख्त पे गुरु को नंगे पैर चलाया
उसके बाद अहंकारी औरंगजेब ने दरबार सजाया
गुरु तेग को हथकड़ी में जकड़ कर पेश करवाया
बड़े घमंड के ऊंचे स्वर में आलमगीर चिल्लाया
मेरी जिद है तुमको मेरा इस्लाम चुनना ही होगा
मुंह भर भर के तुमको अल्लाह हू रटना ही होगा
वरना तुम्हे गुरु अर्जुन की तरह शुली चढ़ना होगा
गर जो औरंगजेब के हुक्म का ना फरमान होगा
सीस और सिरड में किसी एक को चुनना ही होगा
गुरु तेग ने अब अभिमान से गरजकर शौर्य दिखाया
इस्लाम तू छोड़ मेरे मुख से अब एक शब्द ना फूटेगा
फिर जल्लाद आलमगीर ने गुरु तेग पर कहर ढहाया
काट दो सीस बीच चौराहे पर ये फरमान सुनाया
ललकार कर तब गुरू तेग ने ये जोर से ये फरमाया
ऐसे हजारों सीस अपने नानक पर कुर्बान में कर दूंगा
सिक्ख में हूं जिंदा मरने के बाद भी सिक्ख ही रहूंगा
गुरु तेग का शीश कट जब धरा पर गिरा होगा
माता गूजरी पर सोचो क्या कहर बरपा होगा
9 साल के गोविन्द पर भला क्या बीता होगा
उनके आंसू आंखों से नहीं हृदय से टपका होगा
तब सिक्ख वीरों
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