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सपनों का भी पूरा हिसाब रखती थी !!

शैलेंद्र शुक्ला " हलदौना"शैलेंद्र शुक्ला " हलदौना" February 18, 2022
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रूठता में था जब भी  वो मना ही लेती थी 
कितनी भी मुश्किल हो संभाल ही लेती थी !!
मुझको जब भी समझ नही आता था कुछ 
रास्ता कुछ ना कुछ निकाल  वो लेती थी!!
जब भी डगमगाते थे  मेरे कदम जमीं पर 
वो आगे बढ़कर  मेरा  हाथ थाम ही लेती थी !!
मैंने  चांद तारे तोड़ लाने के किए थे वायदे
वो  सिर्फ एक आइसक्रीम पर मुस्करा देती थी !!
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