
Share1 Bookmarks 31289 Reads2 Likes
झूठ में था में भी अब शामिल
सच से अब बात नही बनती!!
अंधेरों का बोल बोला है अब
उजाले में आंखे नही खुलती!!
जमीर बेच दिया झूठ के बाजार में
सच की कीमत अब नहीं मिलती!!
कोयलों को कौन सुनता है यहां
कौओं की रोज महिफिलें हैं सजती!!
शेरों को किया जाता घास खाने को मजबूर
सियारों के लिए विरयानी है रोज है पकती!!
शैलेंद्र शुक्ला "हलदौना"
ग्रेटर नोएडा
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments