
Share0 Bookmarks 133 Reads2 Likes
अभी सपने भी नही बुने थे
तूने बिछड़ने की बात कह दी!!
तुझसे करूं नफरत कैसे
कोई वजह ही तूने नही दी !!
थोड़ा जिंदगी संवरने तो देती
तुमने बिखरने शुरआत कर दी !!
एक कोशिश की थी मुस्कराने की
तुमने दर्द की चुभन सी भर दी !!
कोशिश बहुत की थी समिटने की
तुमने जिंदगी तार तार ही कर दी !!
रोले था में अकसर अपनी किस्मत पर
तूने अब चुप रहने की शर्त रख दी !!
मुझको नही मालूम में कब मिला था खुद से
तूने मुझ पर ही मेरी पहराबंदी कर दी !!
शैलेंद्र शुक्ला " हलदौना"
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments