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जिसको पाने की खातिर अपनों से लड़ा
बदकिस्मती से मुझे वो शर्तों में मिला
कैसे रखता जिंदा जहन में मुहब्बत को
जिसको चाहा था वो मिलकर भी ना मिला
बाहें तो वही थी बिल्कुल ना था इंकार
मिला वो लेकिन बदली हुई तबियत से मिला
सबको लगता है मुझको मुझसा है मिला
सिर्फ मुझे इल्म था वो कहीं खुद में खो गया !!
बहुत मुश्किल है कि में ढूंढू कहां उसको
वो साथ होकर भी बहुत दूर हो गया
जिसको पाने की खातिर अपनों से लड़ा
बदकिस्मती से मुझे वो शर्तों में मिला !!
शैलेन्द्र शुक्ला"हलदौना"
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