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यों अब वक्त तो लगेगा गांव को जानने में
कुछ तुम बदल गए कुछ गांव बदल गया है !!
यादें अभी भी जिंदा है उस गुजरे जमाने की
ये समझना होगा तुम्हें संदूक कहां खोलना है
मोहल्ला जो चहकता था तेरे कदमों की आहट से
सब वाकिफ थे तेरी अच्छी बुरी आदतों से
अब फिर से पहचान बढ़ाने में वक्त तो लगना है
अपनों का अपना होने में समय तो खपना है
यों अब वक्त तो लगेगा गांव को जानने में
कुछ तुम बदल गए कुछ गांव बदल गया है !!
अब वो उंगली भी नही है जो चलना सिखा दे
मां की छांव भी नही है जो जमाने से बचा दे
अब तो खुद ही गिरकर उठना सीखना है
जमाने की जद्दोजहद से खुद ही जूझना है
यों अब वक्त तो लगेगा गांव को जानने में
कुछ तुम बदल गए कुछ गांव बदल गया है !!
शैलेन्द्र शुक्ला"हलदौना"
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