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ख्वाहिशें जिंदगी,जिंदगी ख्वाहिशें
मौत से वो भला फिर हम क्यों डरे !!
सुबह से शब, होता फिर सवेरा 
आसमां में हर रात तारों का मेला
जिंदगी में नए रंग क्यों हम ना भरे!!
ख्वाहिशें जिंदगी,जिंदगी ख्वाहिशें
मौत से वो भला फिर हम क्यों डरे !!
चांद से भी कभी रूठा है चकोर 
बादलों को कभी भूला है जो मोर 
इश्क करने से फिर क्यों हम रुके!!
ख्वाहिशें जिंदगी,जिंदगी ख्वाहिशें
मौत से वो भला फिर हम क्यों डरे !!
खुशबू के बिना फूल कब है जिया 
जमीं जल को कब पपैये ने पिया 
तो दुनिया की शर्तों पर क्यों हम जियें !!
ख्वाहिशें जिंदगी,जिंदगी ख्वाहिशें
मौत से वो भला फिर हम क्यों डरे !!
शैलेंद्र शुक्ला"हलदौना"

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