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अब सवाल जवाबों के लिए नही
उलझाने के लिए पूछे जाते हैं !!
दान गरीबों के मदद के लिए नही
फोटो खिंचवाने के लिए दिए जाते हैं !!
घर अब साथ रहने के लिए नही
हैसियत दिखाने के लिए तैयार होते हैं!!
कपड़े अब तन ढकने के लिए नही
खुदको मॉर्डन दिखाने के लिए पहने जाते हैं!!
अब इंसान चरित्र से नही
बनावटी चेहरों से पहचाने जाते हैं !!
खुद से ही हम सच बोलते नही
इसलिए अपना सुकून गवातें जाते हैं !!
शैलेंद्र शुक्ला"हलदौना"
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