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आज में अचानक से खुद से मिला
थोड़ा डरा सहमा सिकुड़ा सा था खड़ा !!
पूछा बचपन में कहां खो गए थे तुम
मैंने जवानी तक है बहुत ढूंढा तुम्हें
पर तुम हो कि कभी मिलते ही नही
मुझे देखो में कितना बड़ा सा हो गया
दुनिया की सारी चालाकी भी सीख गया!!
तुम हो कि बिलकुल नहीं हो बदले
उसी बचपना में अभी भी हो उलझे !!
चलो अब कुछ अपनों की बात हैं करते
वो चाचा ताऊ भाई बहन सब अलग हैं रहते
जिनके साथ बचपन
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