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कुछ नही जाता तेरे साथ साकी
राख को भी हवा उड़ा ले जाती है
जिस जिस्म को संवारा उमर भर
उसको अपने ही सरे आम जलाते हैं
शैलेंद्र शुक्ला "हलदौना"
ग्रेटर नोएडा (उoप्रo
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