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क्या फायदा समुंदर में आंसू बहाने से
कुछ गमों को सीने में भी दफन कर ले !!
उबाल को कुछ और वक्त भीतर संभाल
जख्मों को भी अभी थोड़ा और हरा रख ले !!
क्यों भागता है तू घबरा कर इधर उधर
अपने भीतर के तूफान का इंतजार कर ले!!
कितने बहाने और बनाएगा तू खुद से
जरा अपने दिल की बात तसल्ली से सुन ले!!
मौत इतनी आसानी से नहीं है आ जाती
अरे जिंदगी से जरा दो दो हाथ कर ले !!
तू अपने मुकद्दर का खुद सिकंदर बन
दुनिया को उठा कर अपने सिर पर रख ले !!
शैलेन्द्र शुक्ला “हलदौना”
ग्रेटर नोएडा
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