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चेहरे पर अपने नकाब लगा नही पाए
झूठ के बाजार में सच को बेच नही पाए!!
उम्र भर सच को पालते रहे बड़ी उम्मीद से
पर झूठ के सामने मैदान पर उतार नही पाए!!
सच संकोच में ही बैठा रहा देखो घर पर
झूठ ने सवालों के जवाब सबको बतलाए!!
झूठ नाच रहा है चकाचौंध के बाजारों में
सच को चंद खरीददार भी ना मिल पाए !!
सच आखिर में जीत जाएगा जैसा सबसे सुना
या कोई झूठ की चाल है जो हम समझ नही पाए!!
शैलेंद्र शुक्ला"हलदौना"
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