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जरूरी नहीं सब कुछ हर दम सही हो
भूल की भी तो कहीं जिंदगी में जगह हो !!
जरूरी नहीं सब कुछ तुमको हासिल हो
कुछ हिस्सा दूसरों के लिए भी तो छूटा हो!!
ये माना रोशनी पर हक सभी का हो
पर ये जरूरी है जीने का एक सलीका हो !!
किसी को तो एक रोटी भी ना हो नसीब
किसीको खाने की फुरसत की भी ना सांस हो !!
क्यों नही हम सब जीते अब एक दूसरे के लिए
इंसानियत क्या तुम इंसान से इस कदर रूठ गई हो !!
शैलेंद्र शुक्ला"हलदौना"
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