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ख़िरद को कोई पूछता ही नही है शहर में
मोअल्लिम भी अब देखो मद्दाह हो गया है
दौलत का हो गया है हर कोई रकीब
लगता है इंसा का वक्त मुअय्यन हो गया है
शैलेंद्र शुक्ला"हलदौना"
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ख़िरद को कोई पूछता ही नही है शहर में
मोअल्लिम भी अब देखो मद्दाह हो गया है
दौलत का हो गया है हर कोई रकीब
लगता है इंसा का वक्त मुअय्यन हो गया है
शैलेंद्र शुक्ला"हलदौना"
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