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हमको रोटी का कौर नही
तुम नोट बिछाकर सोते हो !!
हमको तन पर वसन नहीं
तुम सोने की परत चढ़ाते हो!!
हमको चलने को सड़क नही
तुम घोड़ों की रेस लगाते हो!!
हमको सपनों का हक नहीं
तुम हवाई जहाज उड़ाते हो !!
हमको पीने को नीर नही
तुम स्विमिंग पूल में नहाते हो!!
हमको तुमने जो विश्वास दिया
तुम उसकी रोज बलि चढ़ाते हो !!
कहने को हो जनता के सेवक
पशुओं का हिस्सा भी खा जाते हो!!
इस लोकतंत्र की किस्मत देखो
भारत महान का नारा हम सब लगाते हैं !!
शैलेंद्र शुक्ला "हलदौना"
ग्रेटर नोएडा (उoप्रo)
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