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हार को जीत में बदलना सीखना है मुझे
आंसू और आंख का रिश्ता समझना है मुझे
ठहरते क्यों नही अश्क कभी किसी आंखों में
बस यही वजह अब जानना है मुझे !!
सफर कितना भी लंबा हो मुझे नही डर
मुश्किल रास्तों पर चलना है सीखना मुझे !!
जरूरी नहीं मंजिल मिले या ना मिले
हर पल जिंदादिली से अब जीना है मुझे !!
साथ किसी का नही मिलता उम्र भर के लिए
हाथ जब तक हो हाथों में संभलाना है मुझे!!
जिक्र जब भी हो दुनिया में मुहोब्बत कहीं
नाम उस तारीख में शामिल करना है मुझे !!
शैलेंद्र शुक्ला"हलदौना"
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