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क्या सोचा था कभी किसीने
आएगा ऐसा वक़्त भी,
सन्नाटा पसरेगा चारो ओर
और घरों में होगी खुशहाली ।
जितने दूर सबसे हो गए थे
उतने ही करीब सब आ गए,
सोशियल दिस्तंसिंग होकर भी
दिस्तांसिंग सब मिटा गए है।
ना वक़्त का बहाना
ना काम की आपा धापी
चाय की चुस्कियों के साथ है
रामायण,
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