मंज़िल से मिलूंगा's image
Poetry1 min read

मंज़िल से मिलूंगा

Shatrunjai GiriShatrunjai Giri March 23, 2022
Share0 Bookmarks 0 Reads3 Likes
मझधार में डूबुंगा तो साहिल से मिलूंगा
है खुद पे भरोसा मुझे मंज़िल से मिलूंगा

आयेंगे ज़िन्दगी में कभी धूप कभी छांव
हर धूप को मैं छांव के आंचल से मिलूंगा

हर जीत का जशन तो मनाऊंगा मैं हरदम
हार को भी मुस्कुरा के त

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts