संघर्ष's image
Share0 Bookmarks 167 Reads2 Likes

अनंत से उभरती बादलें,

दृढ़ संकल्प लेकर निकलती हैं,

उखाड़ फेंकने युगों से स्थापित,

नीला रंग की सत्ता को।


अनन्त से उभरती बादलें,

दृढ़ संकल्प लेकर निकलती हैं,

ढ़क देने पूरे अ(आ)समान को,

सफे़दी की चादर से।


वायु की तेज़ रफ़्तार , बिखेर देती है बादलों को,

ये सफ़ेद दल बिखरते हैं,पर रुकते कहां?

बह जाते हैं रफ़्तार के साथ , बिना किसी प्रतिरोध के,

और विलीन हो जाते हैं,एक विशाल बादलों की टूकड़ी में,

अपने संकल्प को पूर्ण करने के मार्फ़त।


वर्षों से देख रहा हूं इस संघर्ष को,

पर क्या करूं?

बस, शब्दों में इस संघर्ष को बयां करूं?

पर, शब्दों की भी तो अपनी मर्यादा है।।

–शशि रं शाण्डिल्य

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts