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अनंत से उभरती बादलें,
दृढ़ संकल्प लेकर निकलती हैं,
उखाड़ फेंकने युगों से स्थापित,
नीला रंग की सत्ता को।
अनन्त से उभरती बादलें,
दृढ़ संकल्प लेकर निकलती हैं,
ढ़क देने पूरे अ(आ)समान को,
सफे़दी की चादर से।
वायु की तेज़ रफ़्तार , बिखेर देती है बादलों को,
ये सफ़ेद दल बिखरते हैं,पर रुकत
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