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शाम सी खूबसूरत हो तुम, और ढलते सूरज सा मैं।
सुबह जैसी है तुम्हारी चमक, और बेरंग बादलों सा मैं।
पहाड़ों की ऊंचाई सी तुम, और छोटे तिनके सा मैं।
तूफान के हवाओं सी तुम, और बिखरी कस्ति सा मैं।
मुझमें पूरी हो तुम, तुम्मे थोड़ा सा मैं !!
सुबह जैसी है तुम्हारी चमक, और बेरंग बादलों सा मैं।
पहाड़ों की ऊंचाई सी तुम, और छोटे तिनके सा मैं।
तूफान के हवाओं सी तुम, और बिखरी कस्ति सा मैं।
मुझमें पूरी हो तुम, तुम्मे थोड़ा सा मैं !!
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