
Share0 Bookmarks 16 Reads0 Likes
चाँद सा सुन्दर रूप देखकर हमको उनसे प्यार हुआ
झील सी गहरी आँखों से फिर आँखों ने इजहार किया।।
फूलों सी कोमल काया की दिल में अब तस्वीर बनी
जिसका वफा के अहसासों से मैंने है श्रंगार किया।।
कजरारी जुल्फें बादल सी नागिन सी मन को डसती
नीरज-दल से कोमल अधर ने दिल पर खूब प्रहार किया।।
अरुणोदय के लाल रवि से सुर्ख, मुलायम गाल हैं
पायल की मोहक छम-छम ने मुझ पर है उपकार किया।।
कैसे कहूँ ‘सनम’ सजनी तो पूरा मयखाना लगती
गिरि सी तुंग उरोज-परिधि ने ‘सनम’ को है लाचार किया।।
अब तो बस इतनी ख्वाहिश है सजनी संग बीते रैना
इसी आस में सावन में सोलह सोमवार उपवास किया।।
---विचार एवं शब्द-सृजन---
----By---
----Shashank मणि Yadava’सनम’----
---स्वलिखित एवं मौलिक रचना---
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments