खुशी का मूल's image
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खुश रहने का बस एक ही मंत्र है

उम्मीद बस खुद से रखो,

किसी और इंसान से नहीं ।।

हे! मानव तू श्रेष्ठ है, सर्वश्रेष्ठ है,

तुझमें है तेरी मुश्किलों का हल ।।

याद रखना तेरी मुस्किल का हल,

शायद किसी भगवान में नहीं ।।

 

खुशी के पीछे सुनो,

दुःखों की कुर्बानी होती है ।।

सुकूँ की नींद की खातिर,

कई रातें जागनी पड़ती हैं ।।

दिन-प्रतिदिन के प्रयास से यूँ,

पर्वत से राह निकलती है ।।

कर्म से ही बदलती हैं भाग्य-रेखाएँ,

इनका रेखांकन किसी शिल्पकार में नहीं ।।

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