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बेशक रावण जला लेना,
धरती की पाप मिटा देना
पूजन दुर्गा का करना,
नव दीप ज्योत जला देना।
विद्वान था तो क्या ,
जलाओगे तुम यह ठान लेना
ऐसा था वह अंतिम,
बात पहले यह समझा देना।
किया अपमान ऋषि का,
देवताओं को भी भयभीत किया
हत्या अपहरण बंदी स्त्रीमोह,
कार्य यह सब उसने किया
हो निष्पाप व्यक्तित्व का,
तो तुम रावण जला देना
ऐसा था वह अंतिम,
बात पहले यह समझा देना।।
बात बहनकी सम्मान का
राक्षस कूल के अभिमान का
चला था रावण प्रतिशोध लेने
राम से उसकी सीता लेने।।
बदला कभी न लोगे
मानव हो तुम बता देना
ऐसा था वह अंतिम
धरती की पाप मिटा देना
पूजन दुर्गा का करना,
नव दीप ज्योत जला देना।
विद्वान था तो क्या ,
जलाओगे तुम यह ठान लेना
ऐसा था वह अंतिम,
बात पहले यह समझा देना।
किया अपमान ऋषि का,
देवताओं को भी भयभीत किया
हत्या अपहरण बंदी स्त्रीमोह,
कार्य यह सब उसने किया
हो निष्पाप व्यक्तित्व का,
तो तुम रावण जला देना
ऐसा था वह अंतिम,
बात पहले यह समझा देना।।
बात बहनकी सम्मान का
राक्षस कूल के अभिमान का
चला था रावण प्रतिशोध लेने
राम से उसकी सीता लेने।।
बदला कभी न लोगे
मानव हो तुम बता देना
ऐसा था वह अंतिम
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