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हर रोज सादगी से,रिश्ते पनप रहें हैं
कुछ मेरे कुछ तेरे, मन के मंदिर में
संवार लूंगी जीवन मैं, तेरे स्नेहकी छांव में
बन जाना देवता तुम,बह जाऊंगी इस भावमें।।
छोटी हूं उम्र में, हर बात सीखा देना तुम
संवार लूंगी जीवन मैं, साड़ीका प्लेट संवार देना तुम।
करदूंगी समर्पित स्वयं को, प्यारसे अपना लेना तुम
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