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चलो आज फिर अमन का रामसेतु बनाते हैं

पियुषपियुष October 6, 2022
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अंतर्मन की लंका का फिर 
       रावण जलाते हैं,
सर्वनाश के कारण 'युद्ध' का
    समाप्ति शंख बजाते हैं।
चलो आज फिर अमन का
     रामसेतु बनाते हैं।।

प्रवृति न होगी अहंकार का
      ऐसी शपथ लेते हैं,
न हो ध्यान पराई नार का
    नियत ऐसी बनाते हैं।
चलो आज फिर अमन का
    रामसेतु बनाते हैं।।

सामर्थ्य के उपयोग से हम
      धर्म रक्षा करते हैं,
सत्यपरायणता से विशुद्ध हम सबका 
      आचरण बनाते हैं।
चलो आज फिर अमन का

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