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उनसे मिलने के दिल ये बहाने ढूंढे
नई आंखों में ख्वाव कुछ पुराने ढूंढे
गुजार दी जिंदगी उस एक लम्हे में मैंने
तेरे साथ बिताने को फिर ज़माने ढूंढे
कौनसा जुनून है कैसा शौक है उसको
दुश्मनों के शहर में भी दीवाने ढूंढे
छूकर गुजर गया एक साया ख्वाव में
फिर तेरे हाथ मैंने सिरहाने ढूंढे
- विकाश शर्मा
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