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दो गज जमीं ढेर सारा आसमान चाहिए
सबके जेहन में अपना इक निशान चाहिए
थक गए हैं कदम आंधियों से टकराकर
समंदरो से कहो अब कुछ बड़े तूफान चाहिए
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