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अंधेरा अकेला नहीं आता है
रोशनी की आंख से छिपता हुआ
भूरे, चिथड़े से थैले की जेबों में
भरकर कभी कचोटती सी यादें
कभी मौन के दो चार पल लाता है
अंधेरा अकेला नहीं आता है।
विकाश शर्मा
रोशनी की आंख से छिपता हुआ
भूरे, चिथड़े से थैले की जेबों में
भरकर कभी कचोटती सी यादें
कभी मौन के दो चार पल लाता है
अंधेरा अकेला नहीं आता है।
विकाश शर्मा
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