उलझन's image
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तेरे मन की उलझन ये कहती रिश्ता तो ये गहरा है

हाथ ऩ थामे गले न लगे तो क्या दिल पर कहां पहरा है

जरूरत न बहाना न कोई वजह धड़कन होकर भी ये ठहरा है

गूंजती है कानों में दिन रात तेरी आवाज

मुड़ कर देखा तो सब सहरा है

जाना था जिसे वो कब से गया

फिर क्यों लगता है वो अभी ठहरा है

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