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हुआ है एक योद्धा जो कभी झुका नहीं,
हुआ है एक भाला जो कभी रुका नहीं
हुआ है एक योद्धा जिसने घास की रोटी खाई है,
हुआ है एक योद्धा जिसने जमीन पर सो राजपुताने को आजादी दिलाई है
हुआ है वह चेतक जिसकी तापें हिंद में गूंजा करती थीं,
हुए हैं वो महाराणा जिनकी दहाड़ से मुगलों की हृदयगति कांपा करती थी
हुए थे वो मुगल जिन्होंने सिर्फ चाटुकारिता पाई थी,
हुए थे वो "महाराणा" जिन्होंने राष्ट्रभक्त प्रजा पाई थी
हुए थे वे आक्रांता जिन्होंने सिर्फ लूट पाट चाही थी,
हुए हैं वे महाराणा जिन्होंने चहुं ओर खुशहाली लाई थी
हुआ था वो अकबर जिसने हिंद
हुआ है एक भाला जो कभी रुका नहीं
हुआ है एक योद्धा जिसने घास की रोटी खाई है,
हुआ है एक योद्धा जिसने जमीन पर सो राजपुताने को आजादी दिलाई है
हुआ है वह चेतक जिसकी तापें हिंद में गूंजा करती थीं,
हुए हैं वो महाराणा जिनकी दहाड़ से मुगलों की हृदयगति कांपा करती थी
हुए थे वो मुगल जिन्होंने सिर्फ चाटुकारिता पाई थी,
हुए थे वो "महाराणा" जिन्होंने राष्ट्रभक्त प्रजा पाई थी
हुए थे वे आक्रांता जिन्होंने सिर्फ लूट पाट चाही थी,
हुए हैं वे महाराणा जिन्होंने चहुं ओर खुशहाली लाई थी
हुआ था वो अकबर जिसने हिंद
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