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रुकी हुई जिंदगी

Sharda CharanSharda Charan February 22, 2022
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रुक सी गई हैं तेरे बगैर मेरी जिंदगी,

वक्त का पहिया चाहे न रुके!


मैं फिर भी ठहर गई हूँ वही,

जहाँ छोड़ गये हो तुम!

क्या पता कल तू आये!

बस इसी ख्याल से आज भी मैं,

 तेरे लिए खड़ी हूँ वहीं!


रुक सी गई हैं तेरे बगैर मेरी जिंदगी,

वक्त का पहिया चाहे न रुके!


ये शब गुजरे, गुजर जाये जमाने चाहे,

हैं बस एक भरोसा वादे के तेरे ही पर मुझे!

लौटकर के आओगे तुम, ले जाने को साथ अपने,

अब ये तुम पर हैं! साथ लेकर जाते हो क्या?

मुझको या फिर खाक को मेरी!


रुक सी गई हैं तेरे बगैर मेरी जिंदगी,

वक्त का पहिया चाहे न रुके!

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