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सफ़र पर निकल पड़ी हूँ
सुुुकून की तलाश में
दर बदर भटक रही हूं
बंजारों के लिबास में
ढूंढ रही हूं मंज़िल
रास्तोंं के खाक मेंं
सफर पर निकल पड़ी हूं
सुकून की तलाश में।।
सुुुकून की तलाश में
दर बदर भटक रही हूं
बंजारों के लिबास में
ढूंढ रही हूं मंज़िल
रास्तोंं के खाक मेंं
सफर पर निकल पड़ी हूं
सुकून की तलाश में।।
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