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दिन महीने शाम बीते,
तुम्हारे बिना कई सुबह भी,
मिलो फिर से चाय पर,
कभी अदरक इलायची वाली,
कभी तुम्हारी ढाबे स्टाईल वाली,
कुछ किस्से तुम सुनाना,
कुछ कहानियां साथ बुनेंगे,
कुछ प्यार से तुम समझाना,
कुछ हस कर मैं सुनूंगी।।
(शालिनी)
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