ये खिलौना's image
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इन बनावट की जंजीरों से कब आज़ाद होना चाहता है ये खिलौना

लिपटकर इनसे रूठकर कब सोना चाहता है ये खिलौना

टूटकर भी जुड़ने का दिखावा इसका कमाल का है

 खुद मिट्टी का होके उसे कब सोना बनाना चाहा है ये खिलौना



मेरी फ़िक्र, मेरी तबाही का जरिया समझ में आ रहा है

मैं उजाले में हूं इसलिए मेरा छाँव बदरिया समझ में आ रहा है

हर मौसम में तेरे हिफाज़त की कसमें जो खाई है 

मुझमें ही डूब मेरा सनम ,आज एक दरिया समझ में आ रहा है

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