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शोर हर तरह था सामना जब भी होगा

जलते इस इस रणभूमि में सकुनी ही घी होगा


जलेगा सारा कुरुवंश बचेगा एक ही अंश

मुरलीधर जिस ओर होगा,विजयी वहीं होगा


पितामह थक कर बोले, बैर के इस भवर से

दुर्योधन जो सोच रहा अब बस वहीं होगा


बिगुल का शोर होगा ,युद्ध घनघोर होगा

नर का संहार करने ,निकलेंगे कुछ राजप्रेमी

अर्जुन एक ओर होगा,गुरू द्रोड़ दूसरी ओर

नियति जो चाहेगी, अब बस वहीं ह

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