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माँ की चिठ्ठी

shail kvshail kv March 3, 2022
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वो पहली चिठ्ठी जो मेरी माँ ने अब भी संजो के रखे हैं

बाकायदा अपनी सन्दूक के उस वाले कोने में जहाँ वो अपने क़ीमती गहने छुपा के रखा करती थी

जितना प्यार और तवज्जो उस चिठ्ठी को देती है 

शायद औऱ किसी को नही ,पर हां मुझे !!

मैंने चिठ्ठी तो कभी भी पढ़ी नहीं ,पर हां मैंने उस चिठ्ठी के अहसास को माँ की आंखों में ज़रूर पढ़ा है

वो कई पन्नों में थी पर माँ कभी भी मुझे उसके पास नही आने देती थी ,मुझे याद है मेरा बचपन जब मैं लुका छिपी का खेल खेला करता था 

माँ को बिन बात धकेला करता था ,

उनकी चूडियों का मेला करता था ,जहां मैं ही बेचने व

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