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जितनी पीड़ सुनाई हमने,
त से जादा छुपाई हमने
दुःख सारे सह गए इकले
खुसी तो संग मनाई हमने
जो जिये पी की खातिर, अब
मरने की कसम उठायी हमने
तेरी यादन की कैद से जालिम
मांगी अब रिहाई हमने
कोऊ न करना याद मो "हिलाल"
ले ली जग से बिदाई हमने।
~हिलाल हथ'रवी
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