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साथ दीजिए
रूठकर दूर हमसे जाने की कोशिश न कीजिए,
मंजिल अपनी तो एक ही है, पाने के लिए साथ तो दीजिए |
खुलुश दिल में रखते हैं, जाहिर भी नही करते,
आँखों की बंदिशों से इश्क को रुशवा तो न कीजिए |
रश्क दिल को हो जाए ऐसी अदाओं को नुमाया न कीजिए ,
रश्मे उल्फत जब निभा न सको, तो दिल लगाया न कीजिए |
जाम भरकर आँखों में मुसलसल यूं ही पिलाया न कीजिए,
नशा इश्क का दिल में बसाकर, नजरों से उतारा न कीजिए |
रकीबो के लिए महफ़िल सजा के बैठे हैं हर जानिब
कभी दिल्लगी हमारी भी आजमाया तो कीजिए |
दुश्मनी की बात छोड़िये, दोस्तों को आजमाया न कीजिए,
जिंदगी बड़ी ही छोटी हैं”शाह” हर किसी के काम आया कीजिए |
शाहनवाज़ अहमद
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