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सब पहचानते हैं............
सच की बुनियाद क्या है सब जानते हैं,
झूठ की हकीकत कहाँ सब पहचानते हैं |
नफरत भरी है जिनकी आँखों में सह्सलह,
प्यार की भाषा भला वो कहाँ पहचानते हैं |
दोस्त बनकर, दुश्मनी निभाना हो जिनकी फितरत,
भला वो मोहब्बत की पाकीजगी कहाँ पहचानते हैं |
जुल्म करना जिनकी सिफ़त रही है मरतब,
वो अमन की रिवायत भला किस कदर पहचानते हैं |
हर बात में हिकारत, हर बात में तकब्बुर हो जिनकी,
वो समुन्दर हैं , भला नदी की धार को कहाँ पहचानते हैं |
आधियाँ आने को है संभल जाओ, हवाओ का इंतजार न करो,
उड़ जाएगा हर कुनबा, भला वो अपना पराया कहाँ पहचानते हैं |
शाहनवाज़ अहमद
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