"प्यार की खातिर"'s image
Love PoetryPoetry1 min read

"प्यार की खातिर"

shahnawaz ahmadshahnawaz ahmad March 18, 2023
Share0 Bookmarks 18 Reads1 Likes

"प्यार की खातिर"


अपनी बातों से लोगो को रिझाना उन्हें खूब आता है

किसी को दर्द देकर मुस्कुराना उन्हें खूब आता है

मोहब्बत में उनकी बेवफाई के किस्से आम हैं

अदाओ से सितम ढाकर मुस्कुराना उन्हें खूब आता है


नजरों में उतार लू, जिसे दिन रात याद करता हूँ

जिसके दीदार के लिए फरियाद बार-बार करता हूँ

दिल का रिश्ता ये कैसा अजीब सा बना है उनसे

याद में उनकी सारी रात आहें बार-बार भरता हूँ


मेरी वफ़ाये देख लेना अपनी प्यार की खातिर

मैं छोड़ जाऊँगा कोई निशानी ऐतबार की खातिर

मैं तन्हाइयों में भी तेरी ही अज्र “शाह”हर बार करता हूँ

मैं आज भी उम्मीद लिए बैठा हूँ बस तेरे दीदार की खातिर


No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts