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कुछ कहना है, पर कैसे कहूं,
कैसे अपने दिल की बात बयाँ करूं |
नजरों से जिनकी बात समझता था
उनको दिल-ए- हाल कैसे बयाँ करू |
कहने को तो बातें बहुत हैं सारी,
सोचता हूँ, आज कहाँ से शुरू करू |
कुछ अपनी कहूं, कुछ उनकी भी सुनूँ,
चराग रौशन दिल के अश्न से करूं|
दिल के अरमान लिए आँखों में,
उनकी नजरों की रौशने-अर्क बनू |
जानता हूँ, दीदार हैं तेरा मुशकिल,
लेकिन, कैसे अपने दिल की न सुनूँ |
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